Thursday, May 24, 2012

...नहीं आता

‘दस्तूर-ए-जहां’ हमें अब तलक नहीं आता
दोस्त क्या.. दुश्मन पे भी शक नहीं आता


चले चार कदम साथ तो ..... अहसान समझ
इस जमाने में .. कोई भी दूर तक नहीं आता


सैकड़ों बार कसम खाके .... वफा का वादा
पर उनकी रंगीनमिजाजी में फरक नहीं आता


सामने पाके तुझे... दीवानी हुई जाती हूं
फिर याद कोई.. पिछला सबक नहीं आता


है मुद्दतों से इंतज़ार ..जवाब का जिसके
जाने क्यों..... उसका ही ख़त नहीं आता


‘कुर्बानी-ओ-ईसार’ से वाबस्ता है ‘अर्चन’
मोहब्बत में ये लफ्ज़... ‘हक’ नहीं आता

Sunday, May 20, 2012

ढूंढ़ लेता है...



ताज्जुब ये कि गुड़ में भी खटाई ढूंढ़ लेता है

वो मेरे हर हुनर में.. कुछ बुराई ढूंढ़ लेता है


मेरे दर्द, मर्ज़, नब्ज़ को … पहचानता तो है

बड़ा जालिम है पर.. कड़वी दवाई  ढूंढ़ लेता है  


वो 'वो' रहा, मैं 'मैं' रही.. हम 'हम' न हो सके

'मोहब्बत’में भी वो 'अपनी-पराई' ढूंढ़ लेता है    


नहीं ऐसा कि उसमें ऐब ही ना हो कोई

‘सिफत’ पर ये .. ‘सफाई’ से ‘सफाई’ ढूंढ़ लेता है


‘कमज़र्फ’ समझूं या कि .. मैं दीवानगी उसकी

वो हर रिश्ते में मेरे .. 'आशनाई'  ढूंढ़ लेता है


'फर्द-ए-जुर्म' लिखने को खिलाफ 'अर्चन' के

ज़माने भर की सारी रोशनाई ढूंढ़ लेता है

-------- o  -------- o -------- o  -------- o  -------- o

1. सिफत : खूबी, Exclusivity, Speciality, Uniqueness

2. कमज़र्फ : संकीर्ण मानसिकता वाला, narrow-

minded, bigoted, prejudiced

3. आशनाई : दोस्ती, गहरे ताल्लुकात friendship, close relationship

4. 'फर्द-ए-जुर्म' : आरोपपत्र, Chargesheet

5. रोशनाई : स्याही, Ink