Wednesday, July 4, 2007

मौसम...

सिर्फ मौसम ही गुनाहगार नहीं
अब तो हर शख्स बदल जया है
कोई कितना भी करीबी हो मगर
राह मे छोड़, निकल जाता है

यूं तो सबसे यही कहते हैं तुम्हे भूल गए
फिर भी होंठों पे तेरा नाम मचल जाता है

मेरे इस दिल से वफ़ा करना ज़रूरी भी नहीं
इसकी आदत है ये वादों से बहल जाता है

इश्क की राह में इतनी हैं ठोकरें खायीं
देख अब तुमको बहकता है, संभल है.