Wednesday, October 14, 2009

फिर सज गईं कंदीलें


देखो....फिर से सज गईं कंदीलें/जुगनू से बिखर गए दूर तलक/

हवाओं की ठंडी महक फिर भर गई है सांसों में/

हौले से दस्तक हुई है...जेहन में/ वो कच्ची-पक्की यादें...

शायद फिर लौट आई हैं/

दबा के रखा था/ बड़े जतन से जिन्हें/अपनी मजबूरियों के तले/

वो ख्वाहिशें... वो उम्मीदें...मुझसे फिर सवाल करती हैं/

कहां है वो...कहां है जिसे शिद्दत से याद करती है..................

Thursday, February 12, 2009

प्रेम दिवस पर.....



इन्द्रधनुष नहीं मेरा प्यार
जो सिर्फ़ बारिश में खिले

मोती भी नहीं मोहब्बत मेरी
जो मिले गहरे पानी तले

चाँद भी नहीं प्यार मेरा
नज़र आए बस्स साँझ ढले

मेरा प्यार तो है हवा सरीखा
हर पल तुम्हें स्पर्श करे.....
और...... तुम्हें पता भी न चले.



Tuesday, January 20, 2009

काश तुम यह जान पाते

काश तुम यह जान पाते

किस तरह मैं जी रही हूँ
कौन सा विष पी रही हूँ
किस तरह कटती हैं रातें
किस कदर चुभती हैं बातें
बोझ सीने पर मेरे है
वेदना में प्राण पाते
काश तुम यह जान पाते


जब भी मिली तुमसे, मिली मैं
ह्रदय में यह आस लेकर
मोड़ दोगे भाग्य रेखा
हाथ में यह हाथ लेकर
देखते आंखों में मेरी
टुकड़े हुआ अरमान पाते
काश तुम यह जान पाते


जब भी सुना था गीत मेरा
ह्रदय का संगीत मेरा
पूछा के किसकी प्रेरणा से
कौन मन का मीत मेरा
झांकते आँखों में मेरी
ख़ुद की ही तस्वीर पाते
काश तुम यह जान पाते

कितना ही लिखा मैंने
कागज़ भी किए काले
तुम समझे न व्यथा मेरी
हांथों में पड़े छाले
और करूँ जतन कितने
कम से कम इतना बताते
काश तुम यह जान पाते

आस भी रोने लगी है
साँस भी खोने लगी है
करती रही इंतजार तेरा
ज़िन्दगी सोने लगी है
किरण बनकर सूर्य की तुम
काश तुम मुझको जगाते
काश तुम यह जान पाते