Monday, October 27, 2008

याद तुम्हारी आती है....

ठंडी महक हवाओं की
जब साँसों मे भर जाती है
बरबस बहतीं हैं आँखें
और मन में हूक उठाती है
तब याद तुम्हारी आती है....


आँगन मे जलती कंदीलों पर
तितली आ मंडराती है
भर लेने को लौ बांहों मे
ख़ुद ही दहन हो जाती है
तब याद तुम्हारी आती है....


रात वो काली-अंधियारी
जब दुनिया दीप जलाती है
दीपो के संग जलूं बावरी
काया भी कुम्हलाती है
तब याद तुम्हारी आती है....

जब याद तुम्हारी आती है....