देखो....फिर से सज गईं कंदीलें/जुगनू से बिखर गए दूर तलक/
हवाओं की ठंडी महक फिर भर गई है सांसों में/
हौले से दस्तक हुई है...जेहन में/ वो कच्ची-पक्की यादें...
शायद फिर लौट आई हैं/
दबा के रखा था/ बड़े जतन से जिन्हें/अपनी मजबूरियों के तले/
वो ख्वाहिशें... वो उम्मीदें...मुझसे फिर सवाल करती हैं/
कहां है वो...कहां है जिसे शिद्दत से याद करती है..................