Thursday, December 30, 2010

साल नया


रोज पहेली हल करते हैं, फिर भी खड़ा सवाल नया
क्या बदलेगा अपनी किस्मत आने वाला साल नया

सीडब्ल्यूजी, टू जी मसले, हो जाएंगे अफसाना
बदली तारीखों के संग फिर, निकलेगा बवाल नया

नीरा, बरखा, वीर सांघवी, कलमाड़ी हो या राजा
राजनीति में इनसे बढ़कर उभरेगा दलाल नया

प्याज, टमाटर, लहसुन, मिर्ची ने सबकुछ बेस्वाद किया
सांसें भी दूभर कर देगा, कीमत में उछाल नया

प्यार- दोस्ती जैसे रिश्ते, चैन सुकूं सब लूट गए
तौबा-तौबा ना पालेंगे, अब कोई जंजाल नया

वक्त बदलता है, 'अर्चन', पर दुनिया के दस्तूर नहीं
हर मीठी मुस्कान के पीछे, होगा कोई जाल नया.

Friday, December 24, 2010

खुद तुम्हें खुद से दूर करती हूं
और फिर देखने तरसती हूं.

न नजर में हो तेरी सूरत जिस दिन
उस एक रोज में हजार मौत मरती हूं

भूल जाउंगी तुम्हें, इस कसम के क्या माने
अपने वादे से हर बार खुद मुकरती हूं.

हां, यकीनन मोहब्बत है, मुझे भी तुमसे
ये भी सच है कि इकरार करते डरती हूं

इस गुनहगार को न देखोगे पलट कर फिर भी
जाने किस आस में हर रोज मैं संवरती हूं

काश ये इश्क की रस्में बदल हो सकतीं
मैं भी कह पाती तुम्हें कितना प्यार करती हूं

सौ-सौ इल्जाम लगा सकते हो मुझ पर 'अर्चन'
इस बहाने तेरी आवाज तो सुन सकती हूं.

Friday, December 17, 2010


यूं तो हमने भी मोहब्बत में, धोखे खाए हैं बहुत
दिल तोड़कर किसी का, फिर भी पछताए हैं बहुत