Tuesday, December 11, 2007

३ क्षणिकाएँ

ज़िंदगी

ज़िंदगी के केनवास में,
सांसों का ब्रश फेरते ही
उभरता है अक्स तुम्हारा...


याद

कल रात तुम फिर सपने में आये
सुबह आँख खुली तो
तकिया नम था...


खुशी

भूले से जब कभी
मिलती है खुशी, मेरी आंखों में
मुस्कुराते हो तुम ....

1 comment:

Anonymous said...

बहुत सुन्दर भाव... इन्हें हाईकू नहीं क्षणिकाएँ कहा जा सकता है.
हाईकू की तीन लाइनों में 5-7-5 वर्ण होते हैं.
सपना आया (5)
तेरी याद सताए (7)
तकिया नम (5)
मुस्कान में 3 ही वर्ण होंगे.
आप बहुत अच्छी क्षणिकाएँ लिखते हैं. हाईकू भी अच्छे लिख सकते हैं गर नियम से लिखें.