Monday, October 27, 2008

याद तुम्हारी आती है....

ठंडी महक हवाओं की
जब साँसों मे भर जाती है
बरबस बहतीं हैं आँखें
और मन में हूक उठाती है
तब याद तुम्हारी आती है....


आँगन मे जलती कंदीलों पर
तितली आ मंडराती है
भर लेने को लौ बांहों मे
ख़ुद ही दहन हो जाती है
तब याद तुम्हारी आती है....


रात वो काली-अंधियारी
जब दुनिया दीप जलाती है
दीपो के संग जलूं बावरी
काया भी कुम्हलाती है
तब याद तुम्हारी आती है....

3 comments:

manvinder bhimber said...

दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

दिनेशराय द्विवेदी said...

अच्छी कविता के लिए बधाई।

दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ...
दीवाली आप और आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि लाए।

Udan Tashtari said...

Badhiya!!

दीपावली के इस शुभ अवसर पर आप और आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.