राहों मे जिन्दगी की कितने ही गम हैं झेले
तुम साथ चल रहे हो फिर भी हैं हम अकेले
करते रहे फरियाद, ना टूटा गुरूर उनका
जिसे बेरुखी कबूल, वोही दिल के खेल खेले
जो वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं ख्वाबों मे ही आ जाओ
तेरी दीद का जूनून, कहीँ जान ना ले ले
सागर में जिन्दगी के साँसों की कश्तियां हैं
ले जायेंगे कहाँ ये दुश्वारियों के रेले
जब नाम तेरे कर दी अर्चना ने जिन्दगी
गम दे या ख़ुशी, जो भी तू चाहे हमें दे ले
1 comment:
लिखते रहें.
Post a Comment