Thursday, March 13, 2008

बुरा न मानो होली है

के पी एस गिल
ऐसी-तैसी हो गयी, शर्मिंदा है देश
देखो हॉकी पर मचा, कैसा आज कलेश
कैसा आज कलेश, के माली चमन उजाडे
मोटी उनकी खाल, जिन्होंने खेल बिगाडे
उनकी मनमानी के कारण हालत ऐसी
कर डाली है 'चक दे' की भी ऐसी-तैसी

शाहरुख़ खान
किंगखान की हो रही, देखो कैसी मौज
चुटकी में तैयार की, ज़बरदस्त एक फौज
ज़बरदस्त एक फौज, किया लंबा घट-जोड़
अरबों रुपये कमाने को, खर्चे कई करोड़
जब दुनिया भर के लिए क्रिकेट बना भगवान्
आईपीएल की गंगा में हाथ धोयें किंग खान


बाला साहब ठाकरे
बिहारी जन को कहे, कैसे ये अपशब्द
लोकतांत्रिक देश का, उफ़!! ऐसा प्रारब्ध
उफ़!! ऐसा प्रारब्ध, दे रहे गाली कितनी
मत फैलाओ भाई-भाई में नफरत इतनी
बोलो बालासाब, शरण हम जाएं तिहारी
कैसे तुम्हरे मित्र कहाएं अटल बिहारी

5 comments:

Udan Tashtari said...

बिल्कुल बुरा नहीं माना जी..ऐसे और लाईये.. :)

अमिताभ मीत said...

उत्तम है भाई ! "just यूँ ही" नहीं है. आप की तो लत लगने का ख़तरा है.

मुनीश ( munish ) said...

dono sahi bol rahe hain.

मलय said...

सचमुच कमाल का ब्लॉग है और होली की हार्दिक शुभकामनाए

Anonymous said...

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