Thursday, December 30, 2010

साल नया


रोज पहेली हल करते हैं, फिर भी खड़ा सवाल नया
क्या बदलेगा अपनी किस्मत आने वाला साल नया

सीडब्ल्यूजी, टू जी मसले, हो जाएंगे अफसाना
बदली तारीखों के संग फिर, निकलेगा बवाल नया

नीरा, बरखा, वीर सांघवी, कलमाड़ी हो या राजा
राजनीति में इनसे बढ़कर उभरेगा दलाल नया

प्याज, टमाटर, लहसुन, मिर्ची ने सबकुछ बेस्वाद किया
सांसें भी दूभर कर देगा, कीमत में उछाल नया

प्यार- दोस्ती जैसे रिश्ते, चैन सुकूं सब लूट गए
तौबा-तौबा ना पालेंगे, अब कोई जंजाल नया

वक्त बदलता है, 'अर्चन', पर दुनिया के दस्तूर नहीं
हर मीठी मुस्कान के पीछे, होगा कोई जाल नया.

3 comments:

Amit Harsh said...

आपकी लेखनी और तेज़ के हम यूं ही नहीं कायल है .....

अचलेन्द्र कटियार said...

बहुत खूब ...

Prafulla's Prime Choice said...

Bahut khoob archna..bahut khoob.