कहते हैं आदमी जिसे, कितना अजीब है
सूरत से खैरख्वाह है, दिल से रकीब है
क़त्ल करते हैं वही, फिर पूछते हैं के
जो मर गया है कौन वो बदनसीब है
पत्थर लगा है आज मेरे घर के कांच पर
लगता है कोई चाहने वाला करीब है
उनको मिला सुकून, मिलीं हमको तल्खियां
जो भी जिसे मिला, ये उसका नसीब है
किसको सुनाये हाल दिल-ए-बेकरार का
मारी है जिसने ठोकर, वो अपना हबीब है
2 comments:
बहुत खूब !
क़त्ल करते हैं वही, फिर पूछते हैं के
जो मर गया है कौन वो बदनसीब है
वाह वाह आपके ख्याल की दाद देनी पडेगी.. बहुत अच्छा लिखा है आपने...लिखते रहिये
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