तुम्हे निहारे हुए बहुत दिन बीत गए
मन को मारे हुए बहुत दिन बीत गए
मेरे प्रियतम तुम आओ तो
फिर से मैं सिंगार करूं
ज़ुल्फ़ सँवारे हुए बहुत दिन बीत गए
अंक मे अपने भर लो मुझको
इतना तो उपकार करो
बांह पसारे हुए बहुत दिन बीत गए
तुम संग वो खुशियाँ लौटेंगी
सुख कल वो पल आएंगे
जिन्हे गुज़ारे हुए बहुत दिन बीत गए
3 comments:
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है।
अच्छी लगीं ये पंक्तियाँ :
अंक मे अपने भर लो मुझको इतना तो उपकार करो
बांह पसारे हुए बहुत दिन बीत गए
अच्छा लगा पढ़कर ...बधाई
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